वाह कॉल, Recevd ही ना की जाये,

 मैं चाहता हूं....
 कई महीनों बाद तुम एक रोज मुझे कॉल करो,
 और वह कॉल, Recevd ही ना की जाये...
 फिर तुम एक और कोशिश करो कॉल करने की,
 और फिर Recevd ना हो...
 फिर एक अरसे बाद, तुम्हें थोड़ी फिकर हो,
 तुम मैसेज करो मुझे... 
वह मैसेजेस
 जिसका कोई भी जवाब अब कभी नहीं आएगा.. फिर तुम सच में थोड़े और परेशान हो जाओ..
तुम सोचो मेरे बारे में, मेरी हर बत,
मेरी आवाज, मेरा चेहरा...  तुम्हारे लिए मेरी फिक्र...
मेरे साथ बिताया हर एक  लम्हा..
फिर तुम मुझे एक और कॉल करो, और फिर कोई Response ना मिले, फिर तुम मुझे Message करो, जिसका कोई जवाब न मिले...


तुम अचानक बहुत बेचैन हो जाओ,  तुम्हें सब कुछ याद आता रहे, तुम लगातर मेरे बारे में सोचो... 
तुम्हें सब कुछ याद आए.. सब कुछ... 

और एक दिन जब तुम्हें नींद ना आये.. बस मेरे याद आये... तुम मुझे Social Media पर ढूँढो.. फिर Message करो.. फिर कॉल करो.. फिर कोई जवाब ना मिले.. तब तुम Phone Gallery खोलकर..
मेरी  तस्वीर देखो..  तुम्हें गुस्सा आये, चीढ हो,  तुम्हें रोना आए.. तुम्हें एहसास हो कि मैं किस हल में रह रहा हूँ..?
 परेशान होना क्या होता है..?
 टूट जाना क्या होता है..?

 फिर कुछ अच्छा ही नहीं लगेगा..  तब तुम हर जगह मुझे ही ढूंढो,  दिन जब बस एक आखरी बार मुझे देखना चाहो, मुझे सुनना चाहो..
 मेरे सीने से लग ना चाहो,  मुझसे लिपट कर रोना  चाहो, 
 तुम पागल हो जाओ उस प्यार के लिए, जो सिर्फ और सिर्फ मुझसे मिल सकता था.. और उस हाल में, तुम्हें सुनने वाला,  तुम्हारा माथे को छूने वाला, सीने से लगाने वाला.. 

"मैं" कहीं दूर किसी शहर में अपने कमरे में आधी रात को वह हर एक Message, पढ़ कर तुम्हें याद करूं.. फिर वह Message, Delete कर दूं. उसका कभी कोई जवाब नहीं आएगा. तुम महसूस करो दिल का टूटना, अकेलेपन में रोना. किसी से कुछ ना कह पाने की बेबसी.. सारे काम जबरदस्ती लगने लगे, बस हर वक्त किसी नशे की जरूरत लगे, नींद की गोलियां भी किसी काम की ना रह जाए..

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